dbms
DBMS का Full Form होता है Data Base Management System. Database एक collection होता है related data का l वहीँ data collection होता है facts और figures का जिन्हें की process किया जाता है information produce करने के लिए l
तो हम कह सकते है कि यह एक general purpose सॉफ्टवेर सिस्टम है जो कि हमें निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध कराता है:
1: defining– यह डेटाबेस में स्टोर data के लिए data types, structures और constraints को specify करता है।
2: constructing– डेटा को किसी भी storage medium में स्टोर करने की प्रक्रिया को DBMS के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
3: manipulating– इसमें डेटाबेस में उपस्थित डेटा को retrieve तथा update किया जाता है और रिपोर्ट्स को generate किया जाता है।
तो हम कह सकते है कि यह एक general purpose सॉफ्टवेर सिस्टम है जो कि हमें निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध कराता है:
1: defining– यह डेटाबेस में स्टोर data के लिए data types, structures और constraints को specify करता है।
2: constructing– डेटा को किसी भी storage medium में स्टोर करने की प्रक्रिया को DBMS के द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
3: manipulating– इसमें डेटाबेस में उपस्थित डेटा को retrieve तथा update किया जाता है और रिपोर्ट्स को generate किया जाता है।
यह पुरे डेटाबेस को मैनेज करता है l डाटा को बनाने से लेकर, सँभालने और डिलीट करने तक का सारा काम डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम करता है l एक ऐसा Software जो डाटा की Create, Manage, Control, Delete और Update कर सके l
DBMS के द्वारा यूजर और प्रोग्रामर दोनों ही अपने डाटा को संभाल सकते है अर्थात दोनों ही डाटा को बना सकते है, मैनेज कर सकते है और अपडेट कर सकते है l
ये database management system data को कुछ इसप्रकार से store करता है की जिससे की उससे data को retrieve, manipulate, और information produce करना आसान हो जाता है l
Database System की Characteristics क्या हैं?
1. Self describing nature का होना : एक database system में न केवल data होता है बल्कि उसके साथ वो database structure और constraints की description भी store करता है l इसमें definition को store किया जाता है DBMS catalog में, जिसमें information होते हैं जैसे structure of each file, type and storage format प्रत्येक data और constraint का l Catalog में जो information stored होती हैं उसे meta data कहते हैं l
2. Program Data Independence का होना : अगर में traditional file processing की बात करूँ तब, प्रत्येक file की structure को embedded किया जाता है application program में l इसलिए कोई भी बदलाव file में होने से programs में भी जरुरी बदलाव करना जरुरी हो जाता है उस file को access करने के लिए l वहीँ DBMS में, हमारे पास program data independence होती है क्यूंकि इसमें data files की structure को separately store किया जाता है system catalog में, अगर हम इसकी तुलना करें access programs के साथ तब l
3. Database की Sharing Multiple Users के बीच हो सकती है : DBMS allow करती है multiple users को एक ही समय में database को access करने के लिए l
4. ये Support करता है Multiple Views Data का : एक database के बहुत सारे users होते हैं जिसमें प्रत्येक के लिये एक अलग ही view या perspective की जरुरत होती है database के लिए l
Components of DBMS
1:- हार्डवेयर:- हार्डवेयर में हमारा कंप्यूटर सिस्टम आ जाता है जो कि हमारे डेटाबेस को स्टोर करने तथा एक्सेस करने के लिए प्रयोग होता है. कंप्यूटर सिस्टम में डाटा को स्टोर करने के लिए ज्यादातर हार्डडिस्क का प्रयोग किया जाता है l
2:- सॉफ्टवेर:- इसमें हमारा जो वास्तविक DBMS सॉफ्टवेर है वो आता है. कंप्यूटर सिस्टम में जो डाटा है उसको users तभी एक्सेस कर पायेंगे जब हमारे पास dbms सॉफ्टवेर होगा l डेटाबेस तथा users के मध्य dbms सॉफ्टवेर स्थित रहता है l
3:- डेटाबेस:- डेटाबेस(database) एक collection of information(सुचना का समूह) होता है जिसे इस प्रकार organise(व्यवस्थित) किया जाता है कि जिसमें information आसानी से access, manage, और update की जा सकें।
Database में हम तेज़ी से और आसानी से desired data को select कर सकते है।
4:- users:– इस में बहुत सारें users होते है जो की जरूरतों के हिसाब से डाटा को एक्सेस करते है l प्रत्येक users की capability तथा जरुरत होती है वह अलग- अलग होती है l
इसमें users निम्नलिखित होते है:-
1:- Database administrator
2:- Database designers
3:- End users
4:- Application programmers
5:- Procedures:- इसका अर्थ है की dbms को चलाने के लिए प्रक्रियाएं, नियम तथा instruction क्या है? तथा सिस्टम में डेटाबेस को किस प्रकार प्रयोग करना है l जैसे:- डेटाबेस लॉग इन करना, लॉगआउट करना, डेटाबेस का बैकअप लेना, तथा डेटाबेस को हैंडल करना आदि l
DBMS का क्या कार्य है
1. Data Redundancy
फाइल सिस्टम में हर एक एप्लीकेशन की अपनी निजी फाइल्स होती है और ऐसी स्थिति में कई स्थानों पर एक ही डाटा की डुप्लीकेट फाइल्स बन जाती है l DBMS में एक स्थान पर एक ही तरह की फाइल्स को रखा जाता है अर्थात इसे दोहराया नहीं जाता जिससे डाटा की Redundancy कम होती है l
2. Sharing Of Data
DBMS में संगठन के अधिकृत यूजर (Authorrized User) के द्वारा डाटा शेयर किया जाता है l इसमें डाटा एडमिनिस्ट्रेटर डाटा को नियंत्रित करता है और डाटा को एक्सेस करने के लिए उपयोगकर्ता को अधिकार देता है l
3. Data Consistency
DBMS के द्वारा डेटाबेस में एक ही प्रकार के डाटा को बार-बार जमा होने से रोका जा सकता है l
4. Integration Of Data
DBMS में सारा डाटा टेबल में होता है और एक डेटाबेस में एक से अधिक टेबल होती है l इन सभी टेबल्स के बीच में संबध बनाए जा सकते है जिससे डाटा को वापिस प्राप्त करना और अपडेट करना आसान हो जाता है l
5. Data Security
DBMS में डाटा को पूरी तरह से डाटा एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा कण्ट्रोल किया जाता है l इसमें एडमिनिस्ट्रेटर ही यह सुनिश्चित करता है की किस यूजर को डाटा देना है और कितना डाटा देना है l यूजर को डेटाबेस के किस हिस्से पर एक्सेस देना है और किस हिस्से पर नहीं यह सब डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर ही कण्ट्रोल करता है l इससे डेटाबेस की सिक्योरिटी बढ़ जाती है और डाटा ग़लत हाथों में नहीं जाता है l
6. Remove Procedures
आप सब जानते है की Computer एक तरह की मशीन है और इसमें कभी भी खराबी आ सकती है और कभी भी Hardware या Software फैलियर हो सकता है ऐसे में डाटा नष्ट हो सकता है l DBMS के द्वारा आप ऐसी कंडीशन में डाटा को आसानी से रिकवर कर सकते है l
Database Management System के प्रकार
1. Network Database
इस तरह के डेटाबेस में डाटा को रिकॉर्ड के रूप में दर्शाया जाता है और डाटा के बीच लिंक को दर्शाया जाता है l
DBMS के द्वारा यूजर और प्रोग्रामर दोनों ही अपने डाटा को संभाल सकते है अर्थात दोनों ही डाटा को बना सकते है, मैनेज कर सकते है और अपडेट कर सकते है l
ये database management system data को कुछ इसप्रकार से store करता है की जिससे की उससे data को retrieve, manipulate, और information produce करना आसान हो जाता है l
Database System की Characteristics क्या हैं?
1. Self describing nature का होना : एक database system में न केवल data होता है बल्कि उसके साथ वो database structure और constraints की description भी store करता है l इसमें definition को store किया जाता है DBMS catalog में, जिसमें information होते हैं जैसे structure of each file, type and storage format प्रत्येक data और constraint का l Catalog में जो information stored होती हैं उसे meta data कहते हैं l
2. Program Data Independence का होना : अगर में traditional file processing की बात करूँ तब, प्रत्येक file की structure को embedded किया जाता है application program में l इसलिए कोई भी बदलाव file में होने से programs में भी जरुरी बदलाव करना जरुरी हो जाता है उस file को access करने के लिए l वहीँ DBMS में, हमारे पास program data independence होती है क्यूंकि इसमें data files की structure को separately store किया जाता है system catalog में, अगर हम इसकी तुलना करें access programs के साथ तब l
3. Database की Sharing Multiple Users के बीच हो सकती है : DBMS allow करती है multiple users को एक ही समय में database को access करने के लिए l
4. ये Support करता है Multiple Views Data का : एक database के बहुत सारे users होते हैं जिसमें प्रत्येक के लिये एक अलग ही view या perspective की जरुरत होती है database के लिए l
Components of DBMS
1:- हार्डवेयर:- हार्डवेयर में हमारा कंप्यूटर सिस्टम आ जाता है जो कि हमारे डेटाबेस को स्टोर करने तथा एक्सेस करने के लिए प्रयोग होता है. कंप्यूटर सिस्टम में डाटा को स्टोर करने के लिए ज्यादातर हार्डडिस्क का प्रयोग किया जाता है l
2:- सॉफ्टवेर:- इसमें हमारा जो वास्तविक DBMS सॉफ्टवेर है वो आता है. कंप्यूटर सिस्टम में जो डाटा है उसको users तभी एक्सेस कर पायेंगे जब हमारे पास dbms सॉफ्टवेर होगा l डेटाबेस तथा users के मध्य dbms सॉफ्टवेर स्थित रहता है l
3:- डेटाबेस:- डेटाबेस(database) एक collection of information(सुचना का समूह) होता है जिसे इस प्रकार organise(व्यवस्थित) किया जाता है कि जिसमें information आसानी से access, manage, और update की जा सकें।
Database में हम तेज़ी से और आसानी से desired data को select कर सकते है।
4:- users:– इस में बहुत सारें users होते है जो की जरूरतों के हिसाब से डाटा को एक्सेस करते है l प्रत्येक users की capability तथा जरुरत होती है वह अलग- अलग होती है l
इसमें users निम्नलिखित होते है:-
1:- Database administrator
2:- Database designers
3:- End users
4:- Application programmers
5:- Procedures:- इसका अर्थ है की dbms को चलाने के लिए प्रक्रियाएं, नियम तथा instruction क्या है? तथा सिस्टम में डेटाबेस को किस प्रकार प्रयोग करना है l जैसे:- डेटाबेस लॉग इन करना, लॉगआउट करना, डेटाबेस का बैकअप लेना, तथा डेटाबेस को हैंडल करना आदि l
DBMS का क्या कार्य है
1. Data Redundancy
फाइल सिस्टम में हर एक एप्लीकेशन की अपनी निजी फाइल्स होती है और ऐसी स्थिति में कई स्थानों पर एक ही डाटा की डुप्लीकेट फाइल्स बन जाती है l DBMS में एक स्थान पर एक ही तरह की फाइल्स को रखा जाता है अर्थात इसे दोहराया नहीं जाता जिससे डाटा की Redundancy कम होती है l
2. Sharing Of Data
DBMS में संगठन के अधिकृत यूजर (Authorrized User) के द्वारा डाटा शेयर किया जाता है l इसमें डाटा एडमिनिस्ट्रेटर डाटा को नियंत्रित करता है और डाटा को एक्सेस करने के लिए उपयोगकर्ता को अधिकार देता है l
3. Data Consistency
DBMS के द्वारा डेटाबेस में एक ही प्रकार के डाटा को बार-बार जमा होने से रोका जा सकता है l
4. Integration Of Data
DBMS में सारा डाटा टेबल में होता है और एक डेटाबेस में एक से अधिक टेबल होती है l इन सभी टेबल्स के बीच में संबध बनाए जा सकते है जिससे डाटा को वापिस प्राप्त करना और अपडेट करना आसान हो जाता है l
5. Data Security
DBMS में डाटा को पूरी तरह से डाटा एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा कण्ट्रोल किया जाता है l इसमें एडमिनिस्ट्रेटर ही यह सुनिश्चित करता है की किस यूजर को डाटा देना है और कितना डाटा देना है l यूजर को डेटाबेस के किस हिस्से पर एक्सेस देना है और किस हिस्से पर नहीं यह सब डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर ही कण्ट्रोल करता है l इससे डेटाबेस की सिक्योरिटी बढ़ जाती है और डाटा ग़लत हाथों में नहीं जाता है l
6. Remove Procedures
आप सब जानते है की Computer एक तरह की मशीन है और इसमें कभी भी खराबी आ सकती है और कभी भी Hardware या Software फैलियर हो सकता है ऐसे में डाटा नष्ट हो सकता है l DBMS के द्वारा आप ऐसी कंडीशन में डाटा को आसानी से रिकवर कर सकते है l
Database Management System के प्रकार
1. Network Database
इस तरह के डेटाबेस में डाटा को रिकॉर्ड के रूप में दर्शाया जाता है और डाटा के बीच लिंक को दर्शाया जाता है l
यह डेटाबेस, नेटवर्क structure का प्रयोग entities के मध्य relationship को create करने के लिए करता है l
इसका प्रयोग बहुत बड़े digital computers में किया जाता है l यह database भी hierarchical की तरह ही होता है परन्तु इसमें एक child के बहुत सारें parent हो सकते है l इसमें child को members कहते है और parents को occupier कहते है l
network database का निर्माण Charles bachman ने की थी. इसमें entities को एक graph में व्यवस्थित किया जाता है जिससे कि उन्हें बहुत सारें paths (रास्तों) से आसानी से access किया जा सके l
इसका मुख्य फायदा यह है कि इसमें हम डाटा को आसानी से access कर सकते है एवं इसका डिजाईन भी easy होता है l
इसका नुकसान यह है कि इसमें records को update और insert करना बहुत complex होता है l
2. Relational Database
इसमें डाटा टेबल के रूप में संग्रहित होता है. जहां डाटा Column और Rows में संग्रहित होता है. इसे स्ट्रक्चरल डेटाबेस के रूप में भी जाना जाता है l
इसका प्रयोग बहुत बड़े digital computers में किया जाता है l यह database भी hierarchical की तरह ही होता है परन्तु इसमें एक child के बहुत सारें parent हो सकते है l इसमें child को members कहते है और parents को occupier कहते है l
network database का निर्माण Charles bachman ने की थी. इसमें entities को एक graph में व्यवस्थित किया जाता है जिससे कि उन्हें बहुत सारें paths (रास्तों) से आसानी से access किया जा सके l
इसका मुख्य फायदा यह है कि इसमें हम डाटा को आसानी से access कर सकते है एवं इसका डिजाईन भी easy होता है l
इसका नुकसान यह है कि इसमें records को update और insert करना बहुत complex होता है l
2. Relational Database
इसमें डाटा टेबल के रूप में संग्रहित होता है. जहां डाटा Column और Rows में संग्रहित होता है. इसे स्ट्रक्चरल डेटाबेस के रूप में भी जाना जाता है l
रिलेशनल डेटाबेस का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है क्योंकि यह सबसे सरल है और आसानी से use किया जा सकता है l इसमें data जो है वह एक table की rows और columns में होता है l इसमें data को insert, delete, update करने के लिए SQL का प्रयोग किया जाता है l इसमें table को relation कहते है l
कुछ popular relational DBMS है:- DB2, oracle, SQL server, RDB आदि l
इसका मुख्य advantage यह है कि इसमें डेटा table के form में होता है जिसके कारण users इसे आसानी से समझ लेते है और access कर सकते हैं l
इसका disadvantage यह है कि ज्यादा data होने पर यह complex बन जाता है. और data के मध्य की relationship भी complicated हो जाती है l
3. Hierarchical Database
इसमें डाटा को Parent और Child के रूप में दर्शाया जाता है जो की ट्री स्ट्रक्चर में होते है l
कुछ popular relational DBMS है:- DB2, oracle, SQL server, RDB आदि l
इसका मुख्य advantage यह है कि इसमें डेटा table के form में होता है जिसके कारण users इसे आसानी से समझ लेते है और access कर सकते हैं l
इसका disadvantage यह है कि ज्यादा data होने पर यह complex बन जाता है. और data के मध्य की relationship भी complicated हो जाती है l
3. Hierarchical Database
इसमें डाटा को Parent और Child के रूप में दर्शाया जाता है जो की ट्री स्ट्रक्चर में होते है l
इस डेटाबेस में, data जो है वह tree की तरह के structure में organise रहता है l अर्थात इसमें डेटा top down या bottom up format में स्टोर रहता है l data में parent-child relationship होती है l
hierarchical database में प्रत्येक record सभी parent-child के बारें में information को स्टोर किये रहता है l इसमें प्रत्येक child record का केवल एक parent होता है l और parent के बहुत सारें child हो सकते है l
किसी data को retrieve करने के लिए हमें प्रत्येक tree को तब तक traverse करना पड़ता है जब तक कि record मिल नहीं जाता l
इस डेटाबेस का सबसे ज्यादा प्रयोग banking और telecommunication क्षेत्रों में किया जाता है l
इसका मुख्य लाभ यह है कि इसमें हम data को बहुत तेजी से access और update कर सकते है l
इसकी हानि यह है कि इसका structure सभी में apply नहीं किया जा सकता. अर्थात यह flexible नहीं होता है l
4. Object-Oriented Database
hierarchical database में प्रत्येक record सभी parent-child के बारें में information को स्टोर किये रहता है l इसमें प्रत्येक child record का केवल एक parent होता है l और parent के बहुत सारें child हो सकते है l
किसी data को retrieve करने के लिए हमें प्रत्येक tree को तब तक traverse करना पड़ता है जब तक कि record मिल नहीं जाता l
इस डेटाबेस का सबसे ज्यादा प्रयोग banking और telecommunication क्षेत्रों में किया जाता है l
इसका मुख्य लाभ यह है कि इसमें हम data को बहुत तेजी से access और update कर सकते है l
इसकी हानि यह है कि इसका structure सभी में apply नहीं किया जा सकता. अर्थात यह flexible नहीं होता है l
4. Object-Oriented Database
इसमें data जो है वह objects के रूप में स्टोर रहती है l और इसके structure को class कहते है l यह programming की capability को उपलब्ध कराती है l इसमें database application को create करने के लिए कम codes की जरूरत होती है l और codes को maintain करना भी बहुत आसान होता है l
object oriented DBMS को 1880 के दशक में निर्मित किया गया था. ये database ज्यादातर सभी programming language को सपोर्ट करते है:- जैसे:- c++, JAVA, RUBY, PYTHON, आदि l
इसका मुख्य लाभ यह है कि इसको maintain करना बहुत आसान होता है l
इसका नुकसान यह है कि इसकी कोई अपनी query language नही है जैसे relational की sql है l
Database Management System की Components क्या हैं?
1. Tables
DBMS में सारा डाटा टेबल्स में रखा जाता है. डाटा संग्रह, फ़िल्टर, संपादन, पुन: प्राप्त करना आदि सभी कार्य टेबल्स पर ही किये जाते है l टेबल्स Rows और Columns से मिलकर बनी होती है जिनके अंदर सारा डाटा स्टोर होता है l
2. Field
टेबल के अंदर प्रत्येक Column को फिल्ड कहते है l इसमें हर डाटा का विशिष्ट भाग संग्रहित होता है जैसे ग्राहक संख्या, ग्राहक का नाम, सड़क का पता, राज्य आदि l
3. Record
टेबल के अंदर पंक्तियों में जो डाटा होता है उसे रिकॉर्ड कहते है l रिकॉर्ड एक तरह की एंट्री है जिसमे व्यक्ति का नाम, फ़ोन नंबर आदि हो सकता है l
4. Queries
किसी टेबल या डेटाबेस में से जरूरत के हिसाब से डाटा निकालने को क्वेरी कहते है l जैसे आप एक ही शहर में रहने वाले दोस्तों की सूचि निकालना चाहते है तो उसे क्वेरी कहेंगे l
5. Forms
आप टेबल में डाटा दर्ज कर सकते है लेकिन उसमे संसोधित करना तथा भण्डारण करना आसान नहीं होता है l इसलिए इस समयसा को दूर करने के लिए फॉर्म्स का प्रयोग किया जाता है l टेबल की तरह ही फॉर्म्स में डाटा दर्ज किया जाता है l
6. Reports
जब आप डेटाबेस के रिकॉर्ड को कागज पर प्रिंट करते है तो उसे रिपोर्ट कहते है l
Database Management System के Function क्या है
1. Create Data: DBMS के द्वारा डाटा को क्रिएट किया जाता है अर्थात उसे टेबल में स्टोर किया जाता है l
2. Manage Data: इसमें डाटा को मैनेज किया जाता है ताकि इसे आसानी से एक्सेस किया जा सके l
3. Update Data: इसमें जरूरत के अनुसार डाटा को अपडेट किया जा सकता है l
4. Delete Data: इसमें जिस डाटा की जरूरत नहीं है उस डाटा को डिलीट किया जाता है l
5. Data Backup: इसमें डाटा का बैकअप लिया जाता है ताकि सिस्टम फैलियर होने पर उसे रिकवर किया जा सके l
6. Data Recovery: इसमें सिस्टम फैलियर होने पर डाटा को रिकवर किया जाता है l
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) के कुछ संभावित नुकसान
1. Cost Of Implementation (कार्यान्वित लागत)
डेटाबेस सिस्टम को कार्यान्वित करने में आने वाली लागत ज्यादा हो सकती है और इसमें काफी ज्यादा खर्चा हो सकता है l
2. Effort Of Transfer Data (डाटा ट्रान्सफर में मुश्किलें)
मौजूदा सिस्टम में डेटाबेस को ट्रान्सफर करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और इसमें बहुत ज्यादा समय भी लग सकता है l
3. Risk होता हिया Database Fails (डेटाबेस फैलियर) होने का
अगर डाटा कम समय के लिए भी फ़ैल हो गया तो कम्पनी पर इसका असर पड़ेगा और कम्पनी को कई तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते है l
object oriented DBMS को 1880 के दशक में निर्मित किया गया था. ये database ज्यादातर सभी programming language को सपोर्ट करते है:- जैसे:- c++, JAVA, RUBY, PYTHON, आदि l
इसका मुख्य लाभ यह है कि इसको maintain करना बहुत आसान होता है l
इसका नुकसान यह है कि इसकी कोई अपनी query language नही है जैसे relational की sql है l
Database Management System की Components क्या हैं?
1. Tables
DBMS में सारा डाटा टेबल्स में रखा जाता है. डाटा संग्रह, फ़िल्टर, संपादन, पुन: प्राप्त करना आदि सभी कार्य टेबल्स पर ही किये जाते है l टेबल्स Rows और Columns से मिलकर बनी होती है जिनके अंदर सारा डाटा स्टोर होता है l
2. Field
टेबल के अंदर प्रत्येक Column को फिल्ड कहते है l इसमें हर डाटा का विशिष्ट भाग संग्रहित होता है जैसे ग्राहक संख्या, ग्राहक का नाम, सड़क का पता, राज्य आदि l
3. Record
टेबल के अंदर पंक्तियों में जो डाटा होता है उसे रिकॉर्ड कहते है l रिकॉर्ड एक तरह की एंट्री है जिसमे व्यक्ति का नाम, फ़ोन नंबर आदि हो सकता है l
4. Queries
किसी टेबल या डेटाबेस में से जरूरत के हिसाब से डाटा निकालने को क्वेरी कहते है l जैसे आप एक ही शहर में रहने वाले दोस्तों की सूचि निकालना चाहते है तो उसे क्वेरी कहेंगे l
5. Forms
आप टेबल में डाटा दर्ज कर सकते है लेकिन उसमे संसोधित करना तथा भण्डारण करना आसान नहीं होता है l इसलिए इस समयसा को दूर करने के लिए फॉर्म्स का प्रयोग किया जाता है l टेबल की तरह ही फॉर्म्स में डाटा दर्ज किया जाता है l
6. Reports
जब आप डेटाबेस के रिकॉर्ड को कागज पर प्रिंट करते है तो उसे रिपोर्ट कहते है l
Database Management System के Function क्या है
1. Create Data: DBMS के द्वारा डाटा को क्रिएट किया जाता है अर्थात उसे टेबल में स्टोर किया जाता है l
2. Manage Data: इसमें डाटा को मैनेज किया जाता है ताकि इसे आसानी से एक्सेस किया जा सके l
3. Update Data: इसमें जरूरत के अनुसार डाटा को अपडेट किया जा सकता है l
4. Delete Data: इसमें जिस डाटा की जरूरत नहीं है उस डाटा को डिलीट किया जाता है l
5. Data Backup: इसमें डाटा का बैकअप लिया जाता है ताकि सिस्टम फैलियर होने पर उसे रिकवर किया जा सके l
6. Data Recovery: इसमें सिस्टम फैलियर होने पर डाटा को रिकवर किया जाता है l
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) के कुछ संभावित नुकसान
1. Cost Of Implementation (कार्यान्वित लागत)
डेटाबेस सिस्टम को कार्यान्वित करने में आने वाली लागत ज्यादा हो सकती है और इसमें काफी ज्यादा खर्चा हो सकता है l
2. Effort Of Transfer Data (डाटा ट्रान्सफर में मुश्किलें)
मौजूदा सिस्टम में डेटाबेस को ट्रान्सफर करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और इसमें बहुत ज्यादा समय भी लग सकता है l
3. Risk होता हिया Database Fails (डेटाबेस फैलियर) होने का
अगर डाटा कम समय के लिए भी फ़ैल हो गया तो कम्पनी पर इसका असर पड़ेगा और कम्पनी को कई तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते है l